Tuesday, November 2, 2010

लडडू

आये दद़दू आये दद़दू
मेरे लिये वो लाये लड़डू
              लड़डू मुझको खूब भाता
              जिसे दद़दू से मैं रोज मंगाता
              लड़डू खा मैं हो जाता लट़टू
आये दद़दू आये दद़दू
मेरे लिये वो लाये लड़डू
              लड़डू की तो बात निराली
              जिसे मैं खाता दे दे ताली
              देशी घी का तब महके लड़डू
 आये दद़दू आये दद़दू
मेरे लिये वो लाये लड़डू ॥


    

Monday, October 25, 2010

नेता कम अभिनेता

पहले भी क्या जमाना था, अभिनय करते थे अभिनेता ।
लेकिन आज अभिनेता को मात करते हैं ये नेता ॥

ऋतिक, शाहरूख और सलमान....ये भी कोर्इ अभिनेता हैं ।
इनसे बडे हैं वो अभिनेता जो कहलाते जन नेता हैं ॥

कुछ दिन पहले एक जवान ने बार्डर पे देश के लिये जान गवार्इ ।
देखिये एक नेता ने कैसे की उसके परिवार की हौसला अफजार्इ ॥

नेता जी एक नर्इ कार में एक शहीद के गाँव को गये ।
बैठे थे कर्इ साथ में चमचे और थे उनके एक अदद पी ए ॥


कार में बैठे नेता जी शहीद के गाँव को जा रहे थे ।
साथ ही कार के बूफर सिस्टम में गीत सुन रहे थे ॥


फिल्मी गीत था कुछ नया नया 
गीत के बोल थे कि चल छैंया छैया....छैंया छैंया ॥


गीत के बोलों पर नेता जी की मटक रही थी काया
उनकी काया में था सिर्फ मटन ही मटन समाया ॥


गाँव की सडक आने पर पी ए ने गाडी रूकवार्इ ।
और नेता से बोला - "सर आप यहाँ से कीजिये पैदल चलार्इ ॥


इस से शहीद के गाँव वालों पर इंप्रेशन पडेगा अच्छा
नेता जी भी बोले - "बहुत अच्छा, बहुत अच्छा ॥


नेता जी गाडी से उतरे हंसते हुए जनता को हाथ हिलाया ।
यह देख कर पी ए ने उनको ऐसा करने से रूकवाया ॥


पी ए बोला - "सर आप यहाँ आये है शोकसभा के दुख में ।
यूँ न हँस कर हाथ हिलायें, कुछ तो गम के भाव लायें मुख में ॥


नेता जी थे गोल मटोल.... और चेहरा था एक लाल लल्लू सा
लेकिन गम के झुठे भावों ने उनको बना दिया हुडक चुल्लू सा ॥


जनता को लगा कि नेता जी का भर आया हो
इतने में चमचे एक सुर में बोले - "नेता जी की जय हो" ॥


जनता फूल माला लेकर नेता जी के पास आर्इ ।
पर उनके पी ए ने माला पहनाने की कर दी मनाही ॥


चलते चलते उस शहीद जवान की झोपडी आयी ।
पी ए तुरंत उनको बैठाने को चारपार्इ मंगार्इ ॥



Sunday, October 24, 2010

चूहे राम की बंदूक

चूहे राम लाये बंदूक,
बोले शिकार करेंगे खूब,
बिल्ली न आयेगी पास,
लगा बैठे वो ऐसी आस,
बिल्ली जब उनके सामने आयी,
अकड के फिर बंदूक उठार्इ, 
बंदूक में गोली डाल न पाये,
भागे फिर वे पूँछ दबाये ।
प्रदीप सिंह